अहमदाबाद: गुजरात में उम्मीद थी कांग्रेस किसी नए चेहरे को विधानसभा में अपना नेता बनाएगी, लेकिन कांग्रेस ने सदन में जनता के मुद्दों को उठाने के लिए () को चुना है। अमित चावडा 2018 से 2021 के बीच के संगठन को लीड कर चुके हैं। जब वे गुजरात कांग्रेस (Gujarat Congress) में प्रमुख बने थे। तब वे सबसे युवा अध्यक्ष थे, हालांकि जब 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी 26 में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने करीब डेढ़ साल बाद उनका इस्तीफा स्वीकार किया था। इसके बाद जगदीश ठाकोर को कमान दी थी। सवाल यह है कि पार्टी ने चावडा पर ही क्यों दांव खेला? इसका पहला जवाब है कि चावडा लंबे वक्त से पार्टी में हैं। वे हाईकमान के विश्वासपात्र हैं। इसके अलावा बतौर पार्टी प्रमुख काम करने का उन्हें अनुभव है, हालांकि चावडा का अधिकांश कार्यकाल कोविड में बीत गया। चावडा ने कोविड न्याय यात्रा निकालकर तत्कालीन सरकार पर दवाब बनाया था। उनकी अगुवाई में शुरू हुई यात्रा को काफी सुर्खियां भी मिली थीं। अमित चावडा (Amit Chavda) कट्टर कांग्रेसी हैं। उनके गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के परिवार से अच्छे संबंध हैं।पांच बार के विधायक इसके अलावा चावड़ा (Amit Chavda) पांच बार के विधायक हैं। वे शुरुआत में दो बार बोरसद से जीते। इसके बाद वे लगातार आनंद जिले की आंकलाव सीट से जीत रहे हैं। ऐसे में जब तमाम दिग्गज अपनी सीट नहीं बचा पाए तो अमित चावडा विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। चावडा पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के बेटे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह सोलंकी के बाद प्रदेश अध्यक्ष बने थे। अब जब पार्टी ने फिर से उन्हें अहम जिम्मेदारी है तो उनके समाने खरा उतरने की चुनौती। अमित चावडा ओबीसी क्षत्रिय हैं। तो उनकी डिप्टी शैलेष परमार दलित हैं। केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई24 अप्रैल, 1976 को जन्में अमित चावडा (Amit Chavda) ने केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2004 से वह लगातार विधायक हैं। आंकलाव में बढ़े हुए अमित चावडा अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। चावडा काफी युवावस्था से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने छात्र जीवन में एनएसयूआई से राजनीति सीखी, फिर बाद में भारतीय युवा कांग्रेस के पदाधिकारी बने। अमित चावडा विधानसभा में पार्टी में उप सचेतक और सचेतक रह चुके हैं। पार्टी के नेता ने कहा कि अमित चावडा युवा हैं। उनके विभिन्न पदों पर रहने का अनुभव भी है। इसीलिए उनके नाम पर मुहर लगी। सामने चुनौतियों का पहाड़अमित चावडा (Amit Chavda) को पार्टी ने विधायक दल के नेता के साथ चुनौतियों का पहाड़ दिया है। कांग्रेस पहली बार राज्य में सबसे कमजोर स्थिति में है। सदन में संख्याबल नहीं है। तो बाहर करारी हार से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का जोश जमीन पर है। ऐसे में चावडा में सामने दोहरी चुनौती है कि बतौर विधायक दल के नेता वे पार्टी में नई जान फूंके। चावडा को ये सब ऐसे स्थिति में करना होगा जब उन्हें आधिकारिक तौर नेता विपक्ष का ओहदा मिलने की उम्मीद काफी कम है। नेता विपक्ष के लिए कुल सीटों की 10 फीसदी सीटें होनी जरूरी हैं। कांग्रेस को 182 में से सिर्फ 17 सीटें मिली हैं। ऐसे में वह नेता विपक्ष के ओहदे के लिए विधानसभा स्पीकर शंकर चौधरी के रुख पर निर्भर है। फिर लोकसभा चुनाव लेगा परीक्षा2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमान अमित चावडा (Amit Chavda) के पास थी। जनवरी, 2023 में कांग्रेस के विधायक दल के नेता बने चावडा के सामने फिर से लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को अच्छा बनाने की चुनौती है। इसका पूरा दारोमदार प्रदेश की लीडरशिप पर है, कि वह आने वाले 400 दिनों में जनता के कितने मुद्दे उठाती है।
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