मुंबईः देशभर में करीब आधा दर्जन वंदे भारत ट्रेनें चल चुकी हैं, लेकिन इस बार असली टेस्ट होना है। देश के एक कठिन घाट सेक्शन में जहां सामान्य ट्रेनों को भी चलाने के लिए आगे और पीछे इंजन लगाने पड़ते हैं, वहां देश की पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन कैसे चलेगी? पिछले दो दिनों से मध्य रेलवे के घाट सेक्शन में इसका टेस्ट हो रहा है और परिणाम कुछ ऐसे रहे कि वंदे भारत बिना किसी इंजन के सहारे घाट सेक्शन में चढ़ और उतर गई। गौरतलब है कि 10 फरवरी को सीएसएमटी से शिरडी और सोलापुर के लिए वंदे भारत ट्रेनें रवाना होंगी। इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाएंगे।सीएसएमटी से शिरडी के बीच वंदे भारत 6 घंटे में सफर पूरा करेगी। दादर, ठाणे और नासिक रोड पर इसे स्टॉप दिया जाएगा। भविष्य में और भी स्टॉप जुड़ सकते हैं। इसी तरह, सीएसएमटी से सोलापुर के बीच वंदे भारत 6:30 घंटे में सफर पूरा करेगी। इसे दादर, ठाणे, लोनावाला, पुणे और कुर्दूवाडी में स्टॉप दिया जाएगा। 160 किलोमीटर प्रतिघंटा क्षमता वाली वंदे भारत की मुंबई-शिरडी के बीच औसत स्पीड करीब 60 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। मुंबई से सोलापुर के बीच इस ट्रेन की औसत स्पीड करीब 70 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।
भोर और थल में मिली कामयाबी
मध्य रेलवे में देश के दो कठिनतम घाट सेक्शन हैं। एक है पुणे से जोड़ने वाला भोर घाट और दूसरा है नासिक को जोड़ने वाला थल घाट। यहां हर 37 मीटर के बाद पटरियां 1 मीटर ऊंची उठ जाती हैं। भोर घाट करीब 28 किमी लंबा है और थल घाट 14 किमी लंबा है। इस घाट सेक्शन में कई सुरंगें और पुल हैं। बारिश के मौसम में चट्टानें भी खिसकती हैं। इस चुनौती भरे रास्ते में वंदे भारत एक्सप्रेस टेस्ट में सफलतापूर्वक चली है।वंदे भारत को नहीं चाहिए 'सपोर्ट'
जितने कठिन भोर और थल घाट हैं, वैसे सेक्शन देश के अन्य रेलवे नेटवर्क पर नहीं हैं। मध्य रेलवे के केवल यही दो घाट हैं, जहां यात्री ट्रेनें चलती हैं लेकिन सपोर्ट सिस्टम के साथ। कर्जत और कसारा में ट्रेनों के पीछे एक और इंजन जोड़ा जाता है, जो ट्रेन को पीछे से धक्का लगाता है। वंदे भारत में पार्किंग ब्रेक सिस्टम है। कुछ ऐसा सिस्टम जो आमतौर पर आपने कारों में देखा होगा, जो वाहन को ढलान में लुढ़कने से बचाता है। इस सिस्टम की बदौलत वंदे भारत ने सफलतापूर्वक घाट का टेस्ट पास किया। वैसे, अन्य ट्रेनों के मुकाबले 16 डिब्बों वाली वंदे भारत का वजन भी कम है और इससे भी संतुलन बनाने में मदद मिलती है।अभी एक और चुनौती है बाकी
घाट सेक्शन का टेस्ट तो वंदे भारत ने पास कर लिया, लेकिन एक और चुनौती का सामना भविष्य में करना पड़ सकता है। देश की पहली वंदे भारत ट्रेन जब दिल्ली से बनारस के लिए चली थी, तब वापसी में भैंसे से टकरा गई थी। हाल ही में पश्चिम रेलवे पर चली वंदे भारत करीब पांच बार मवेशियों से टकरा चुकी है। सेमी स्पीड ट्रेन को इन चुनौतियों से बचाने के लिए पश्चिम रेलवे में पूरे ट्रैक के दोनों और मेटल फेंसिंग लगाने का फैसला लिया गया है। इस तरह की चुनौतियां मध्य रेलवे पर भी आएंगी। यहां लोकल ट्रेन से मवैशी टकराने की घटनाएं कईं बार हो चुकी हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि कोई बाधा आएगी तो फेंसिंग लगाने पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।from https://ift.tt/Fz0huXr
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