नोएडा: आम्रपाली के प्रॉजेक्टों में (NBCC) ने अभी तक 7100 फ्लैट तैयार कर दिए हैं। इनमें से सिर्फ 2600 फ्लैट का हैंडओवर अभी तक हो पाया है। कि NBCC को नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 21 प्रॉजेक्टों में करीब 36000 फ्लैट तैयार करने हैं। इनमें सबसे ज्यादा काम ग्रेनो वेस्ट के प्रॉजेक्टों में होना है। फ्लैट हैंडओवर की रफ्तार काफी सुस्त होने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के प्रॉजेक्टों को NBCC से पूरा कराने की जिम्मेदारी कोर्ट रिसीवर को सौंपी थी। करीब एक साल का समय प्रॉजेक्टों में काम शुरू कराने के लिए प्लानिंग करने में निकल गया। इसके बाद कोरोना की वजह से काम प्रभावित रहा। करीब एक साल में 3300 फ्लैट एनबीसीसी ने तैयार करके कोर्ट रिसीवर कौ सौंप दिए थे।इनमें से करीब 2000 फ्लैटों को ही बायर्स को हैंडओवर किया गया था। बाकी के फ्लैटों को लेने के लिए लोग आगे नहीं आए। इनमें कई गुमना फ्लैट भी तैयार किए थे। दिसंबर 2022 तक कुल 7100 फ्लैट NBCC ने तैयार कर दिए हैं। इनमें 2600 का हैंडओवर बायर्स को हो पाया है। एक साल पहले तैयार हुए 3300 फ्लैट में से 339 की लिस्ट हाल ही में निकाली गई है, जिन्हें लोग क्लेम करने नहीं आ रहे हैं। यह लिस्ट वेबसाइट पर डाल दी गई है। 15 फरवरी तक इन्हें क्लेम करने का समय लोगों को दिया गया है। 15 फरवरी के बाद एक महीने का समय क्लेम करने का और रखा गया है, लेकिन उसके लिए हर रोज 2500 के हिसाब से पेनल्टी देनी होगी। इसके बाद भी इन्हें क्लेम करने के लिए कोई नहीं आता है तो इन्हें अनसोल्ड फ्लैट की कैटिगरी में रखते हुए नए सिरे से बेचने की प्रक्रिया होगी। नोएडा ग्रेनो के 36 हजार फ्लैटों को तैयार करने के लिए साढ़े तीन साल पहले 8 हजार करोड़ के फंड की जरूरत की बात थी। पिछले दो-तीन साल में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 25-30 प्रतिशत महंगा हुआ है।
हैंडओवर में कई तरह के पेच
जानकारी के मुताबिक, तैयार होने के बाद भी बायर्स को फ्लैट हैंडओवर की गति काफी धीमी है। इसका एक कारण तो यह है कुछ फ्लैटों का क्लेम करने लोग नहीं आ रहे हैं। दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि जिनका फ्लैट तैयार हो गया है वह अब निश्चिंत से हो गए हैं और बकाया अभी जमा करने में मूड में नहीं हैं। इसलिए भी समस्या आ रही है। तीसरा बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि बकाया पैसे को लेकर गई तरह के विवाद हैं। बायर केके कौशल का कहना है कि बिल्डर ने जो दस्तावेज लोगों को दिए हैं उनमें कई तरह की समस्या है। इसके चलते कई बायर्स चक्कर काट रहे हैं। उनकी पेमेंट रसीदें और बाकी दस्तावेज को लेकर कोर्ट रिसीवर की टीम कई तरह के सवाल उठा रही है। वहीं, बायर्स का कहना है कि इस तरह वो प्रताड़ित हो रहे हैं। बिल्डर ने जिसे जैसे कागज दिए लोगों ने ले लिए। कई बायर्स के कागज आधे अधूरे हैं। कई लोगों को उनके दूसरे क्लेम होने के चलते बिल्डर ने उन्हें पैसे न देकर फ्लैट दे दिए थे। जिनका बैंक ट्रांजेक्शन नहीं है ऐसे में लोगों को खुद को साबित कर पाने में खासी दिक्कत सामने आ रही है।from https://ift.tt/kLxRNJT
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