की तारीखें भले ही उत्तराखंड सरकार ने घोषित कर दी हैं, इससे जुड़ी चिंताएं बरकरार हैं। बल्कि, उस मार्ग में नई दरारें पाए जाने की खबरों ने चिंता बढ़ा दी है। यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले शहर जोशीमठ में सड़कों, खेतों और मकानों में दरारें आने और फिर जमीन धंसने की खबरों से चिंता की लहर तो हर तरफ फैली, लेकिन उत्तराखंड में खौफ की स्थिति पैदा हो गई। सरकारी तंत्र और स्थानीय निवासी दोनों ही अपने-अपने स्तर पर हालात से उपजी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इसी बीच चारधाम यात्रा घोषित करने का समय आ गया, जिसका इंतजार सिर्फ उत्तराखंड नहीं बल्कि देश-दुनिया में फैले श्रद्धालुओं को रहता है। यात्रा हालांकि अप्रैल में शुरू होगी, लेकिन उसकी तैयारियों की प्रक्रिया अभी से शुरू हो गई है। ऐसे में यह सूचना वाकई गंभीर है कि चारधाम यात्रा के मार्ग में कम से कम दस नई दरारें देखी गई हैं। इतना ही नहीं, सड़क की जिन दरारों को सीमेंट से पाट दिया गया था, उनके भी नए सिरे से उभर आने की बात कही जा रही है। हालांकि इन आरंभिक सूचनाओं को लेकर घबराने या हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनसे मुंह भी नहीं मोड़ा जा सकता।जरूरी है कि सरकार इन सूचनाओं की पहले तो पुष्टि करे कि ये तथ्यात्मक रूप से कितनी सही हैं, उसके बाद इस बात की विशेषज्ञों द्वारा जांच करवाए कि इन दरारों की प्रकृति कैसी है, इनसे किस तरह का और कितना गंभीर खतरा हो सकता है? यह भी कि क्या जोशीमठ में जमीन धंसने की प्रक्रिया से इनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संबंध है? इन पहलुओं की गहराई से जांच होने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। मगर इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि ये मसले न सिर्फ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी गहरी चिंता का कारण बने हुए हैं।एक दशक पहले आई केदारनाथ आपदा की स्मृतियां धुंधली नहीं पड़ी हैं। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक ही पहाड़ के हर बाशिंदे को परेशान कर रहा है कि चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद जब दरारों वाली इन सड़कों से हजारों गाड़ियां गुजरेंगी, तब किस तरह के हालात पैदा होंगे। ध्यान रहे, चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल कुल 17.6 लाख श्रद्धालु आए थे। यह संख्या 2019 के कोविड पूर्व के आंकड़े (12 लाख) से कहीं ज्यादा थी।जोशीमठ हादसे के बाद जानकारों ने यह भी कहा था कि राज्य में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित किया जाए। फिलहाल इस साल की चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने के साथ सरकार को यह भी देखना होगा कि लंबी अवधि में उत्तराखंड के इस संकट को कैसे सुलझाया जाए।
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