विमिंस प्रीमियर लीग (WPL) के लिए सोमवार को मुंबई में हुई खिलाड़ियों की नीलामी में जिस तरह का जोश दिखा, उसे इसकी अच्छी शुरुआत का संकेत माना जा सकता है। इसमें भारतीय बैटर को सर्वाधिक 3.4 करोड़ रुपये कीमत मिली तो विदेशी खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया की ऑलराउंडर एश्ले गार्डनर रहीं। उन्हें 3.2 करोड़ रुपये में गुजरात जायंट्स ने खरीदा। इस लिहाज से भारतीय कप्तान के लिए मुंबई इंडियंस की ओर से लगाई गई बोली (1.8 करोड़ रुपये) जरूर अपेक्षा से कम है। ऐसी लीग में अक्सर कुछ खिलाड़ियों के लिए बोली नहीं लगती। ऐसा इस नीलामी में भी हुआ। टीमों की रणनीति, प्राथमिकता, खिलाड़ियों को खरीदने का बजट नीलामी को प्रभावित करते हैं। ज्यादा बड़ी बात यह है कि खिलाड़ियों की नीलामी के साथ ही WPL ने एक महत्वपूर्ण चरण पूरा कर लिया। इसे लेकर न सिर्फ खिलाड़ियों में बल्कि क्रिकेट जगत से सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से जुड़े तमाम लोगों में उत्सुकता बनी हुई है।अगर IPL के मुकाबले में देखा जाए तो यह हर तरह से कम नजर आती है। सबसे महंगे खिलाड़ी की बात करें तो IPL में इस साल टॉप पर रहे इंग्लैंड के सैम कुरेन 18.5 करोड़ रुपये में बिके जिसके आगे मंधाना को मिली रकम कुछ नहीं लगती। हो भी क्यों ना! WPL में हर टीम को मिला बजट मात्र 12 करोड़ रुपये है, जबकि IPL में हर टीम को 95 करोड़ रुपये मिलते हैं। WPL में मात्र 5 टीमें रखी गई हैं जबकि IPL में दस टीमें खेलती हैं। मगर भूलना नहीं चाहिए कि IPL का 16 वर्षों का इतिहास है, उथल-पुथल भरी एक लंबी यात्रा है। यह दर्शकों की मौजूदगी के मामले में दुनिया में पहले नंबर की क्रिकेट लीग है और यह कोई आज की बात नहीं। 2014 में ही औसत उपस्थिति के मामले में इसने दुनिया की सभी स्पोर्ट्स लीग में छठा स्थान हासिल कर लिया था।इस लीग ने क्रिकेट को जिस स्तर पर पहुंचाया, क्रिकेटरों को जिस तरह का मंच दिया, वह कुछ समय पहले तक अकल्पनीय था। छोटे शहरों और कस्बों के खिलाड़ियों के लिए अचानक उम्मीदों का आसमान खुलता दिखाई देने लगा। ये सारी बातें न केवल WPL के भविष्य को लेकर आशान्वित करती हैं बल्कि महिला क्रिकेट के आगामी चमकदार दौर की उम्मीद बढ़ाती हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे देश की खिलाड़ियों ने कठिन चुनौतियों से गुजरते हुए महिला क्रिकेट को यहां तक पहुंचाया है। उनकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था इसका BCCI के हाथों में पहुंचना।अब WPL की शुरुआत के रूप में इसका नया फेज शुरू हो रहा है। उम्मीद की जाए कि यह दौर महिला क्रिकेट को न केवल तमाम जरूरी संसाधनों से लैस करेगा बल्कि देश की उभरती प्रतिभाओं में नया उत्साह भरते हुए उनके सामने क्रिकेट को एक आकर्षक और भरोसेमंद करियर के रूप में स्थापित करेगा।
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