सूरत में बदल गया सीन, AAP पार्षदों के आने से 23 साल बाद हुआ ऐसा, हीरा नगरी में कैसे बदल रहे समीकरण - Hindi Khabar Abtak - Hindi news, English News, Latest News in Hindi and English, Breaking News

Hindi Khabar Abtak - Hindi news, English News, Latest News in Hindi and English, Breaking News

Hindi Khabar Abtak brings you the latest news and videos from the Top Hindi Breaking News Studios in India. Stay tuned with the updated news in Hindi as Well as in English from India and the World. You can access videos and photos on your device with the Hindi Khabar Abtak.

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Sunday, 23 April 2023

सूरत में बदल गया सीन, AAP पार्षदों के आने से 23 साल बाद हुआ ऐसा, हीरा नगरी में कैसे बदल रहे समीकरण

अहमदाबाद: सूरत में बीजेपी के डबल अटैक से आम आदमी पार्टी जहां बैकफुट पर है तो वहीं आप को पार्षदों ने केसरिया धारण करके बीजेपी को हीरा नगरी में बेहद मजबूत बना दिया है। फरवरी 2021 के निकाय चुनावों में आप ने सूरत में 27 सीटें जीती थी और 120 सदस्यीय निगम में बीजेपी को 93 सीटें मिली थीं। तो वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था, लेकिन बड़ी जीत के बाद बीजेपी को मायूसी थी। इसके पीछे की दो वजहें थी। पहली बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ में आप की सेंधमारी और दूसरी कुछ वार्डों में बीजेपी का सफाया, लेकिन आम आदमी पार्टी के 12 पार्षदों के पाला बदलने से अब बीजेपी की सभी वार्ड में उपस्थिति हो गई है। हर वार्ड में खिला कमल सूरत महानगरपालिका में कुल वार्डों की संख्या 30 है। प्रत्येक वार्ड से चार पार्षद चुने जाते हैं। 2021 के चुनाव में बहुमत के बाद भी कुछ वार्ड ऐसे थे, जहां पर बीजेपी की उपस्थिति नहीं थी। 23 साल बाद बीजेपी की उपस्थिति अब सभी वार्डों में हुई हैं। आप के 12 पार्षदों के बीजेपी में आने से अब पार्टी साल 2000 वाली स्थिति में पहुंच गई है। सूरत में बीजेपी 2015 और 2021 के निकाय चुनावों में में पाटीदार बहुल वार्डों से बाहर हो गई थी। 90 के दशक में सूरत में कुछ वार्ड ऐसे थे जहां पर बीजेपी का प्रतिनिधित्व नहीं था। इनमें मुस्लिम आबादी वाले वार्ड अधिक थे। तो पार्टी ने डी-लिमिटेशन तोड़ निकालकर 1995 में सभी वार्ड से कांग्रेस का सफाया कर दिया था। तब पार्टी ने 99 में से 98 सीटों जीती थीं, हालांकि उसके बाद कांग्रेस कुछ वार्ड में हावी रही थी। अब 23 साल बाद ऐसी स्थिति बनी है जब बीजेपी की सभी वार्ड में मौजूदगी हो गई है। 2024 से पहले मिली मजबूती लोकसभा चुनावों से आम आदमी पार्टी के पार्षदों के पाल बदलने से सूरत में बीजेपी अब और ज्यादा मजबूत हो गई है। इतना ही नहीं निगम में सदन में भी पार्टी का संख्याबल बढ़कर 105 हो गया है। 30 में से कुछ वार्ड तो ऐसे हैं जहां पर चारों पार्षद बीजेपी के हैं। फरवरी, 2021 के चुनावों में आम आदमी पार्टी को सूरत में संजीवनी मिली थी। इसी के बाद पार्टी मिशन गुजरात पर आगे बढ़ी थी, लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले और बाद में कुल 12 पार्षदों के पाला बदलने से पार्टी बैकफुट पर है। अगर आने वाले दिनों आप से पार्षदों का पलायन नहीं रुका तो सूरत में आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल के साथ नेता विपक्ष का पद भी खो देगी। अब देखना यह है कि पार्टी इस केसरिया संकट से कैसे निपटती है? मुश्किल सूरत 'आप' की टीम विधानसभा चुनावों में सूरत से सभी हैवीवेट उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने वाली आम आदमी पार्टी फिलहाल ड्रैमेज कंट्रोल की मुद्रा में है। पार्टी की कोशिश है कि 15 पार्षदों को किसी भी सूरत में एकजुट रखा जाए, हालांकि पार्टी ने राजेश मोरडिया को निष्कासित कर दिया था। ऐसे में पार्टी के पास अभी सिर्फ 14 पार्षद बचते हैं। सदन में नेता विपक्ष का दर्जा रखने के लिए 12 पार्षदों की आवश्यकता होती है। ऐसे में आप के लिए सूरत में काफी गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है। आप के जिन पार्षदों में बीजेपी का दामन थामा हैं। उनमें वार्ड संख्या 3 से जीत कनु गेडिया का भी नाम है। कनु गेडिया आम आदमी पार्टी के सर्वाधिक अंतर से जीतने वाले पार्षद थे। उन्होंने वारछा-सरथना,सिम्डा-लस्काना से 34,732 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। सीधे दांव पर रहती है पाटिल की प्रतिष्ठा पेज समिति का प्रयोग करके बीजेपी की चुनावी राजनीति के नए पुरोधा बनकर उभरे सीआर पाटिल सूरत में रहते हैं। वे लगातार तीन बार से नवसारी से चुनकर लोकसभा पहुंच रहे हैं। ऐसे में सूरत में पार्टी की कमजोर होने पर सीधा जुड़ाव पाटिल के प्रदर्शन से किया जाता है, लेकिन फिलहाल हीरा नगरी में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में दिख रहे हैं विधानसभा की सभी सीटों पर बीजेपी काबिज है। तो आप और कांग्रेस को मुकाबले में आने के लिए काफी लंबा सफर तय करने की जरूरत दिख रही है। आप से बीजेपी में आए पार्षदों के सदस्यता लेने के वक्त पाटिल मौजूद नहीं रहे, लेकिन बाद में उन्होंने सभी पार्षदों से मुलाकात की थी।


from https://ift.tt/K1luyGP

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad