मुंबई: मुख्यमंत्री के उनके गांव सतारा से लौटने के बाद सीएम और के बीच के तीखी जुबानी जंग देखने को मिल रही है। दोनों ही नेता सार्वजनिक कार्यक्रमों और मीडिया से बातचीत के दौरान एक दूसरे पर जमकर शब्दों के तीर चला रहे हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अब ट्वीट कर उद्धव ठाकरे की ऐसी ही आलोचना का जवाब दिया है। एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर उद्धव ठाकरे पर हमला बोला है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, 'आपके पास बदले की भावना है, हत्या करने की भावना है लेकिन आपमें सच्चाई का सामना करने की हिम्मत नहीं है। हम कोई बदला नहीं चाहते हैं। यह हमारी सोच भी नहीं है। हम चाहते हैं एक बदलाव लाया जाए। हम इस राज्य के लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं। हम गरीब और मेहनतकश लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं। उद्धव पर तंज कसते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि स्वार्थ के कैमरे और पाखंड के चश्मे से दुनिया को देखने से कभी भी सच्ची तस्वीर सामने नहीं आती। उसके लिए व्यक्ति के पास नि:स्वार्थ जनसेवा का कैमरा होना चाहिए। जो आपके पास कभी नहीं था और कभी नहीं होगा।' दरअसल उद्धव ठाकरे ने कहा था कि सरकार गिराने का मैं बदला जरूर लूंगा। इसी बात का जवाब शिंदे ने ट्वीट के जरिये दिया है। उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे भारतीय कामगार सेना की 55वीं वार्षिक बैठक में बोल रहे थे। एयर कंडीशनर में बैठकर कैबिनेट मीटिंग करना और कानून बदलना। इन लोगों को कुछ नहीं पता। हमने मोर्चे निकाले हैं लेकिन अब हमें हिम्मत भी दिखानी होगी। शिंदे पर बरसते हुए उद्धव ने कहा, 'मुझे याद है कि आपने जिन कानूनों का जिक्र किया है। उनकी चर्चा अटल जी के समय में भी हुई थी। अटल जी कहा करते थे कि इस विषय पर बालासाहेब से मिलो और बात करो। फ़िलहाल 60 प्रतिशत कार्यकर्ता संगठित हैं इसपर भी विचार किया जाना चाहिए। हमारी सरकार के दौरान कितने उद्योग आए थे और कितने अब चले गए। उद्योग भले ही चले जाएं लेकिन इसपर वह लोग कुछ नहीं बोलेंगे। इन लोगों ने दम दबा ली है।' यहां आते समय मैंने एक ट्वीट देखा कि एक जूता कंपनी महाराष्ट्र आएगी लेकिन वह भी तमिलनाडु चली गई। अब आराम से जूते पोंछते बैठो। मैं सरकार गिराने का बदला जरूर लूंगा।' पहले भी शिंदे कर चुके हैं ट्वीट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इससे पहले भी उद्धव ठाकरे के खिलाफ ट्वीट कर चुके है। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि, 'जब लोगों को बिना काम किए पैसा और पद मिल जाता है तो उनका दिमाग काम नहीं करता है। मेहनत करने वालों के बारे में उनके मन में कोई भाव नहीं होता। मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए लोग मेहनतकश लोगों को निम्न दर्जे का समझते हैं और उन्हें द्वेष करने में ही उनका पूरा जीवन निकल जाता है। ऐसे व्यक्ति मेहनत करने वालों को हमेशा छोटा और नीचा समझते हैं। इसलिए लिए वह जूता पोलिश करने वालों को हीं व्यक्ति समझते हैं और उनका अपमान करते हैं।' शिंदे ने आगे कहा, 'जूते पोंछने वाले गरीब हो सकते हैं लेकिन वह शायद आपसे ज्यादा ईमानदार हैं। क्योंकि वह मेहनत की रोटी खुद खाते हैं। वह विश्वासघाती नहीं होते। एक चायवाला, रिक्शा चालक, टपरी वाले, चौकीदार भी समाज का नेतृत्व कर सकते हैं। यह बात जिनकों हजम नहीं होती उन्हीं हमेशा दर्द रहता है। जो अपने पिता की उपलब्धियों की बराबरी करने की भी हिम्मत नहीं करते उनके बारे में कुछ न कहना ही बेहतर है।
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