गुरुग्राम: नूंह में पकड़े गए 65 साइबर ठगों ने देशभर के 28 हज़ार लोगों को अपना शिकार बनाया। उनसे 100 करोड़ रुपये की ठगी की। यह खुलासा पुलिस रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में हुआ है। इनके साथ 250 अन्य ठगों के नाम भी सामने आए हैं। पुलिस इन्हें दबोचने के लिए निरंतर दबिश दे रही है। प्रदेश के पांच हजार पुलिस कर्मियों ने 102 टीमों का गठन कर 27 की रात व 28 अप्रैल की सुबह नूंह के 14 गांवों में एक साथ दबिश दी थी। 125 संदिग्ध साइबर ठगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। जिनमें से 66 की पहचान कर उनके खिलाफ 16 केस दर्ज कर अदालत से सात से 11 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया था। एसपी नूंह वरुण सिंगला ने बुधवार को पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि ये साइबर ठग फर्जी सिम, आधार कार्ड से देशभर के लोगों को ठगी का शिकार बनाकर फर्जी बनाए बैंक खातों में राशि डलवाते थे ताकि पुलिस इन तक न पहुंच सके। इन ठगों ने एनसीआर के दिल्ली, यूपी से लेकर अंडमान-निकोबार तक लोगों को निशाना बनाया। इनके दबोचे जाने के बाद देशभर के 28 हजार साइबर ठगी के मामले ट्रेस हुए हैं।
पूछताछ के लिए की 40 साइबर विशेषज्ञों की टीम तैयार
पुलिस रिमांड के दौरान गहनता से पूछताछ करने के लिए डीजीपी पीके अग्रवाल ने प्रदेशभर के 40 साइबर विशेषज्ञों की टीम तैयार कर पूछताछ की। साइबर धोखाधड़ी के लिए अपनाई जा रही कार्यप्रणाली, फर्जी सिम और बैंक खतों के स्रोतों के बारे में जानकारी की गई। छापे के दौरान जब्त किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्ड की तकनीकी रूप से जांच की गई। टीएसपी, आईएसपी, बैंक, एनपीसीआई, यूपीआई यूआईडीएआई, डीओटी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, व्हाट्सऐप, ओएलएक्स आदि से संबंधित जानकारी भी मांगी गई।केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की सहायता से भी ठगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले फर्जी बैंक खातों, सिम, मोबाइल फोन आदि को देश भर में प्राप्त साइबर अपराध की शिकायतों से जोड़ने का अनुरोध किया गया था। इस विश्लेषण के दौरान यह बात सामने आई है कि साइबर ठगों ने अब तक देश भर के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से करीब 28000 भोले-भाले लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है। पकड़े गए जालसाजों के खिलाफ देशभर में पहले से ही 1346 प्राथमिकी दर्ज मिली।219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में पता चला
जांच में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में भी जानकारी सामने आई, जिनका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी करने के लिए किया जा रहा था। ये बैंक खाते मुख्य रूप से ऑनलाइन सक्रिय पाए गए और नौकरी देने के बहाने लोगों को धोखा देकर और फिर आधार कार्ड, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर और ऑनलाइन केवाईसी करवाकर ठगी की जा रही थी। इसके अलावा, टेलीकॉम कंपनियों के हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, नोर्थ ईस्ट, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सर्किल से एक्टिवेट 347 सिम कार्ड का भी पता चला है जिनका उपयोग ये ठग साइबर क्राइम के लिए कर रहे थे। जांच के दौरान फर्जी सिम और बैंक खातों का स्रोत मुख्य रूप से राजस्थान के भरतपुर जिले से जुड़ा पाया गया है।गांवों के एटीएम से निकालते थे नकदी
इनके साथ ठगी का काम करने वाले 250 वांछित साइबर अपराधियों की भी पहचान की गई है, जिनमें से 20 राजस्थान के, 19 उत्तर प्रदेश और 211 हरियाणा के हैं। ये 18-35 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। इन्होंने खुलासा किया है कि वे आम तौर पर 3-4 व्यक्तियों के समूह में काम करते थे। यह भी बताया कि नकली बैंक खाते, नकली सिम कार्ड, मोबाइल फोन, नकद निकासी/वितरण और सोशल मीडिया वेबसाइटों पर विज्ञापन पोस्ट करने जैसी तकनीकी सेवाओं को एक गांव में केवल कुछ लोगों द्वारा धोखाधड़ी राशि का 5 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक कमिशन शुल्क लेने के बाद प्रदान की गई थी। साइबर अपराधी नकद निकासी के लिए मुख्य रूप से कॉमन सर्विस सेंटर का इस्तेमाल करते थे, जबकि कुछ अन्य इसके लिए विभिन्न गांवों में स्थापित एटीएम का इस्तेमाल करते थे।from https://ift.tt/72TSbJQ
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