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Sunday, 21 May 2023

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आरके विश्वकर्मा रहेंगे बरकरार या फिर आएंगे नए दावेदार? UP में DGP की कुर्सी पर फिर शुरू हुआ चर्चा का दौर

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डीजीपी के पद पर क्या आरके विश्वकर्मा बने रहेंगे? यूपी पुलिस के मुखिया की कुर्सी को लेकर चर्चाएं एक बार फिर तेज हो गई हैं। दरअसल कार्यवाहक डीजीपी डॉ.आरके विश्वकर्मा का रिटायरमेंट 31 मई को है। उनकी तैनाती को स्थायी डीजीपी के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा या तीन महीने का सेवा विस्तार या फिर इस कुर्सी के लिए नए दावेदार सामने आएंगे? यह चर्चा महकमे से लेकर सत्ता के गलियारों तक जोर पकड़े हुए है। आरके विश्वकर्मा के कार्यकाल में यूपी पुलिस की ओर से किए गए एक्शन की चर्चा हो रही है। उमेश पाल केस के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो या फिर अन्य माफियाओं के केस में अनुसंधान, यूपी पुलिस ने तेजी दिखाई है।

फैक्टर कार्यवाहक डीजीपी के पक्ष में

चर्चाओं को विराम 31 मई तक सरकार के लिए फैसले के बाद ही मिलेगा लेकिन घटनाक्रम और परिस्थितियां वर्तमान में सबसे ज्यादा डॉ. आरके विश्वकर्मा के ही पक्ष में दिख रही हैं। दरअसल योगी सरकार ने कार्यवाहक डीजीपी डॉ. डीएस चौहान के रिटायर होने के बाद जिस तरह से रिटायरमेंट के दो महीने बचे होने के बाद भी डॉ.आरके विश्वकर्मा को भी कार्यवाहक के रूप में चुना, उससे लग रहा है कि उनकी पारी अभी और चलेगी क्योंकि सरकार के पास डॉ. विश्वकर्मा के अलावा तीन ऐसे अफसरों के नाम विकल्प के रूप में थे, जिनका कार्यकाल एक साल या उससे ज्यादा था। लेकिन सरकार ने उन्हें दरकिनार कर डॉ. आरके विश्वकर्मा को चुना। आरके विश्वकर्मा के कुर्सी संभालने के बाद यूपी पुलिस के लिए चुनौती बने उमेश पाल व दो सिपाहियों की हत्या के वॉन्टेड माफिया अतीक अहमद के पांच लाख के इनामी बेटे असद और शूटर गुलाम को मुठभेड़ में मारा गया। इसके अलावा वेस्ट यूपी के दो कुख्यात आदित्य राणा और अनिल दुजाना को भी मुठभेड़ में मारा गया। पूरे प्रदेश में निकाय चुनाव काफी शांतिपूर्ण तरीके से निपटाए गए। माफिया मुख्तार अंसारी और उसके बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी को सजा सुनाई गई। इसके अलावा डॉ. विश्वकर्मा ने जिस तरह से तकनीकी को पुलिसिंग में शामिल किया है, उसको लेकर भी महकमे में काफी बज है। इसके अलावा उनका ओबीसी होना भी ऐसा फैक्टर है, जिसे आने वाले लोकसभा चुनावों में यूपी की वोटबैंक की राजनीति के नजरिए से उनके पक्ष में माना जा सकता है।

विजय कुमार और आनन्द कुमार होंगे दावेदार

वहीं अगर सरकार कार्यवाहक डीजीपी डॉ. आरके विश्वकर्मा को सेवा विस्तार नहीं देती है तो 1988 बैच के आनंद कुमार और विजय कुमार इस कुर्सी के अहम दावेदार होंगे। हालांकि इस सूची में सबसे ऊपर नाम पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल का है लेकिन सरकार उन्हें दूसरा मौका देगी, इस पर संशय है। सूत्रों के मुताबिक विजय कुमार को डीजीपी बनाने के लिए एक पूर्व अधिकारी ने मजबूती से पैरवी की थी लेकिन आखिरी समय में डॉ. आरके विश्वकर्मा को मौका मिल गया। हालांकि विजय कुमार को इस दौरान डीजी सीबी सीआईडी के साथ ही विजिलेंस के निदेशक की अहम जिम्मेदारी अतिरिक्त रूप से दे दी गई। विजय कुमार के पहले यह पद कार्यवाहक डीजीपी डॉ. डीएस चौहान संभाल रहे थे। इससे यह जाहिर होता है कि विजय कुमार की गिनती पसंद के अफसरों में बनी हुई है। वहीं आनंद कुमार को जेल विभाग से हटाकर डीजी को-ऑपरेटिव सेल के पद पर भेजा गया, इससे उनकी दावेदारी उस दौरान कमजोर हुई है लेकिन वह अब भी रेस में बने हुए हैं। आनंद कुमार का रिटायरमेंट अप्रैल 2024 में है जबकि विजय कुमार का जनवरी 2024 में है।


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