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Friday, 16 June 2023

ग फरसट क फलइट रकन स फरवरड एरय म सन क मवमट पर असर

नई दिल्ली: एयरलाइंस की फ्लाइट रुकने से फॉरवर्ड एरिया में सेना के मूवमेंट पर भी असर पड़ा है। आर्मी सूत्रों ने माना कि इसका असर हुआ है। साथ ही यह भी कहा कि आर्मी ने मूवमेंट के वैकल्पिक तरीके ढूंढे हैं ताकि मूवमेंट लगातार होता रहे। आर्मी अपने सैनिकों को छुट्टी पर भेजने या छुट्टी से वापस आने के लिए गो फर्स्ट की चार्टर सर्विस का इस्तेमाल करती थी। साथ ही इंडियन एयरफोर्स भी कूरियर सर्विस (फ्लाइट सेवा) देता रहा है। गो फर्स्ट की फ्लाइट रुकने के साथ ही एयरफोर्स की सर्विस भी पहले की तरह पूरी बहाल नहीं हो पाई है, जिसका असर सेना की फॉरवर्ड एरिया में तैनात यूनिटों पर पड़ने लगा है। सूत्रों के मुताबिक, फॉरवर्ड एरिया से सैनिकों के मूवमेंट में ज्यादा वक्त लगने से यूनिट में सैनिकों की गैर-मौजूदगी पहले के मुकाबले ज्यादा वक्त तक हो रही है। इसका असर सेना की तत्परता और सैनिकों के छुट्टी के शेड्यूल में भी पड़ा है। सूत्रों की मानें तो आर्मी के सैनिक चार्टर सर्विस का इस्तेमाल कर 2-3 घंटे में डेस्टिनेशन पर पहुंच जाते थे जबकि सड़क से जाने में 6-7 दिनों का वक्त लग रहा है। गो फर्स्ट एयरलाइन की उड़ान मई की शुरुआत से ठप है। आर्मी सूत्रों ने कहा कि इसका मिलिट्री मूवमेंट पर असर हुआ है। हालांकि इसका नकारात्मक प्रभाव कम करने के लिए आर्मी मूवमेंट के दूसरे तरीके इस्तेमाल कर रही है। आर्मी सूत्रों के मुताबिक, एयरफोर्स की मेंटेनेंस शॉर्टी (उड़ान) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, एयरफोर्स ने हाल ही में अपनी कूरियर सर्विस (सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने की उड़ान सेवा) बहाल की है। हाल ही में लिए गए ए-321 एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन नए एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल नॉर्दन बॉर्डर (चीन बॉर्डर) के कुछ सेक्टर में हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कोविड महामारी से पहले एयरफोर्स की कूरियर सर्विस नॉर्थ, नॉर्थ ईस्ट और साउथ के राज्यों में ऑपरेट होती रही थी। हर महीने 12 फ्लाइट होती थी। मार्च 2020 में यह कूरियर सर्विस रुक गई। सरकार की तरफ से कूरियर सर्विस ऑपरेट करने का जो अनुमति मिली थी, वह भी खत्म हो गई। हालांकि, अब एयरफोर्स की कुछ कूरियर सर्विस फिर शुरू कर दी गई हैं। उधर, एयरफोर्स सूत्रों का कहना है कि आर्मी की जरूरत के हिसाब से कूरियर सर्विस चलाई जा रही है।


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