नई दिल्ली : हर रोज की तरह 21 मई 1996 की शाम लोगों की भीड़ से लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट गुलजार था। दुकानों पर बज रहे संगीत की धुन पर कोई चाट खा रहा था तो कोई कोल्ड ड्रिंक और चाय की चुस्की ले रहा था। इसी दरम्यान पार्क के पास खड़ी एक कार में तेज विस्फोट हुआ। आसमान में अंधेरा छा गया और हवा में आग के गोले के साथ लोगों की चीखें गूंज उठीं। स्थिति यह थी कि किसी के सिर से खून बह रहा था तो किसी का शरीर बुरी तरह से झुलस गया था। हर तरफ से दर्द भरी पुकारें सुनाई दे रही थीं। आंखों के सामने कई लोग तड़प कर मर गए। यह कहना है कुलदीप कुमार अरोड़ा का। बम विस्फोट का यह खौफनाक मंजर उन्हीं के आंखों के सामने घटा था।छिन गई खुशी, बेटी की मौत से टूटा परिवारफेडरेशन ऑफ लाजपत नगर ट्रेडर्स असोसिएशन के अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा बताते हैं कि बाजार में खुशियों का माहौल था। करीब 5:30 बजे अचानक बम विस्फोट हुआ था। दर्द, चीख और मौत के चलते बाजार में मातम फैल गया है। चारों तरफ खून से लथपथ लाशें और लाशों के सामने बिलखते लोग। 27 साल हो गए हादसे को लेकिन आज भी वह मंजर आंखों के सामने तैरता है। इस घटना में एक मासूम बच्ची की भी मौत हुई थी। जो अपनी मां और दो बहनों के साथ खरीदारी करने आई थी। बेटी की मौत के बाद से परिवार टूट गया। मां की गोद में बेटी की लाश देख हर किसी का कलेजा फट गया। लेकिन 27 साल बाद आरोपियों को सजा मिल गई, इससे कई पीड़ित परिवार के जख्म पर मरहम लग गया।3 महीने तक बाजार में फैला रहा सन्नाटालाजपत नगर सेंट्रल मार्केट के व्यापारी नेता अश्विनी मारवाह ने बताया कि 27 साल बाद बम विस्फोट के आरोपियों को सजा मिलने से वह दर्दनाक मंजर उभर आया। हर तरफ खून से सनी लाशें देख लोग चीख रहे थे। हालांकि, इस दरम्यान झुलसे लोगों को बचाने के लिए बाइक, रिक्शा की मदद से उन्होंने घायलों को अस्पताल भेजा। इस हादसे के बाद तीन महीने तक बाजार में मातम फैला रहा। दुकानों में सन्नाटा पसरा था। कोई खरीदारी करने के लिए नहीं आता था। यहां तक कई व्यापारी भी दुकान खोलने से डरते थे। अच्छी बात यह है कि आरोपियों को सजा मिल गई, लेकिन अतिक्रमण का दर्द आज भी कायम है। अवैध अतिक्रमण के चलते बचाव कार्य काफी प्रभावित हुआ था। सब कुछ बदला लेकिन अवैध अतिक्रमण की सूरत आज भी वैसी की वैसी है।मौत के आंकड़ों पर उठे थे कई सवालपुष्पा मार्केट ट्रेडर्स वेलफेयर असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी कुलदीप बताते हैं कि जिस जगह बम विस्फोट हुआ था, उस जगह वह सुबह से ही बैठे थे। किसी काम के चलते वह घटनास्थल से करीब 100 मीटर की दूरी पर पहुंचे ही थे कि अचानक तेज धमाके की आवाज सुनाई दी। लोग जान बचाने के लिए दुकानों के बेसमेंट में गए, जहां आग के धुएं से दम घुटने से कई लोग की मौत हो गई थी। यही नहीं, एक व्यापारी अपने दुकान से पैसे निकालने पहुंचा, जहां विस्फोट के चलते दुकान का छज्जा उनके ऊपर गिर गया है और उनकी मौत हो गई। कुलदीप का कहना है कि वह सरकारी आंकड़ों में केवल 13 लोगों की मौत हुई है, जबकि वह हादसे के गवाह हैं। उनका कहना है कि चारों तरफ खून से लथपथ लाशों का आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से कई गुना है।
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