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Wednesday, 12 July 2023

Accident Today: स्पीड कंट्रोल करने वाले कैमरों से बचने को हो रहा मोबाइल ऐप का यूज, एक्सप्रेसवे पर जा रही जान

मुंबई : सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए मुंबई प्रशासन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। हाइवे पर हाइटेक कैमरे की मदद से गाड़ियों की स्पीड चेक होती है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर ई-चालान होते हैं, लेकिन लोग तकनीक को मात देने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। आजकल हाइवे पर लोग ऐसी मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बता देते हैं कि कितने मीटर की दूरी पर कैमरा लगा है। इस सूचना की मदद से कैमरे की जद में आने पर ड्राइवर अचानक स्पीड कम करते है और नतीजतन पीछे आ रहे वाहनों से टक्कर हो जाती है।

ऐप का किस तरह होता है इस्तेमाल

स्पीड कैमरा डिटेक्टर और रोबोटबोट जैसी दर्जनों ऐप का इस्तेमाल कैमरा डिटेक्ट करने के लिए हो रहा है। ये ऐप आईओएस और एंड्रॉइड दोनों प्लैटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। गाड़ी चलाते वक्त अगर ये ऐप ऑन हों, तो ट्रैफिक सिग्नल, कैमरा और ट्रैफिक की स्थिति का अनुमान लगाया जाता है। इनके निरंतर इस्तेमाल से ऐप आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से मोबाइल पर नोटिफिकेशन भेजती है। इसके साउंड अलर्ट भी ड्राइवर को मिलते रहते हैं। हाइवे और फ्री-वे पर इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। जीपीएस का इस्तेमाल करने वाली इन ऐप की मदद से नो कैमरा ज़ोन में ड्राइवर तय सीमा से अधिक स्पीड में वाहन चलाते हैं। कैमरा स्पीड से करीब दो किमी की दूरी पहले ही ड्राइवरों को अलर्ट मिल जाता है, जबकि स्पीड कैमरे की रेंज 200-300 मीटर तक की ही होती है।

क्या कर रहा है प्रशासन

हाइवे पुलिस से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस तरह की ऐप का इस्तेमाल हो रहा है और उनके संज्ञान में ये बात आई है। फिलहाल, इन पर बैन लगाने की प्रक्रिया पर विचार नहीं किया गया है। अधिकारी ने बताया कि हाइवे पर AI बेस्ड कैमरा लगाने और ऐसे सॉफ्टवेयर को डिवेलप करने का प्रस्ताव है, जो दो कैमरा के बीच वाहन की औसत स्पीड को चेक कर वाहनों पर चालान कर सके। हालांकि, कुछ समय पहले केरल के मोटर वाहन विभाग ने सूचना एंव तकनीकी विभाग को आईटी ऐक्ट 2000 के सेक्शन 69 के तहत इस तरह की ऐप पर बैन लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा था, जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

ऐप ने कंट्रोल की ओवर स्पीड!

आरटीओ ने बताया कि समृद्धि महामार्ग पर इस साल 1 अप्रैल से 1 जुलाई तक केवल 244 ओवर स्पीडिंग के मामले पकड़े गए हैं। इनमें से भी स्पीड कैमरा को चेक करने वाले कंप्यूटर से केवल 77 मामले ही पकड़े गए हैं। 167 ड्राइवर ऑन रोड चेकिंग के दौरान पकड़े गए। इसी तरह, कंप्यूटर द्वारा लाइन कटिंग के केवल 302 मामले दर्ज किए गए, जबकि ऑन रोड चेकिंग के दौरान 1904 मामले दर्ज हुए हैं। जानकारों के अनुसार हाइवे पर लगे कैमरों की संख्या पर्याप्त नहीं हैं और लोगों द्वारा कैमरा डिटेक्शन के ऐप इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसके कारण ओवर स्पीडिंग के बहुत कम मामले दर्ज हुए हैं, जबकि हादसों का सबसे बड़ा कारण ओवर स्पीडिंग है।

हादसों का हाइवे

इन दिनों महाराष्ट्र का मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग हादसों के कारण चर्चा में है। दिसंबर, 2022 में इस महामार्ग को लोगों के लिए खोला गया था। 7 महीनों में ही यहां करीब 170 भीषण सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। 15 दिनों पहले प्राइवेट बस के भीषण हादसे में 25 लोगों की झुलस कर मौत हो गई थी। 12 जुलाई को भी एक और सड़क हादसा हुआ, जिसमें करीब 20 लोग जख्मी हो गए। इस बार भी प्राइवेट बस के साथ हादसा हुआ।

एनबीटी नजरिया

सड़क हादसों में मौत हो जाना सरकारों के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात होनी चाहिए, क्योंकि इनमें अधिकांश युवाओं की मौत होती है, जिसमें किसी परिवार की आय का जरिया ही चला जाता है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के युग में सरकारों को ज्यादा से ज्यादा सेफ्टी पर खर्च करना चाहिए। सेफ्टी से किसी भी तरह का खिलवाड़ हो, तो उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे में, इस तरह के मोबाइल ऐप पर भी रोक लगनी चाहिए, जो हादसों का कारण बनते हैं।


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