नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहने के चलते लू लगने से जान गंवाने वाले लोगों और अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि लगातार पड़ रही भीषण गर्मी के बीच, पिछले 48 घंटों में राष्ट्रीय राजधानी के पांच जिलों में वंचित सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के 26 से अधिक लोगों के शव मिले हैं। हालांकि, इन मौतों का कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। अधिकारी ने बताया कि बुधवार को इंडिया गेट के पास चिल्ड्रन पार्क में 55 वर्षीय एक व्यक्ति का शव मिला। उन्होंने बताया कि मौतों के वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए शवों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हुईबेघर लोगों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ने दावा किया है कि 11 से 19 जून के बीच दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हुई। केंद्र द्वारा संचालित राममनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में पिछले दो दिन में 22 मरीज लाए गए। अस्पताल में पांच मौतें हुई हैं और 12 से 13 मरीज जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों को कोई अन्य बीमारी नहीं थी। जब ऐसे लोग अस्पताल आते हैं, तो उनके शरीर का तापमान दर्ज किया जाता है और यदि यह 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक पाया जाता है तथा कोई अन्य कारण नहीं होता है, तो उन्हें लू से पीड़ित मरीज घोषित कर दिया जाता है।मरीजों को बर्फ और पानी से भरे बाथटब में रखा जाता है लू के कारण मरने वालों को हीटस्ट्रोक का संदिग्ध मामला घोषित किया जाता है। दिल्ली सरकार की एक समिति है जो बाद में मौतों की पुष्टि करती है। शरीर को तुरंत ठंडा करने के लिए अस्पताल ने अपनी तरह की पहली हीटस्ट्रोक यूनिट स्थापित की है। अधिकारी ने कहा, इस यूनिट में कूलिंग तकनीक है और मरीजों को बर्फ और पानी से भरे बाथटब में रखा जाता है। जब मरीज के शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से नीचे चला जाता है, तो उनकी निगरानी की जाती है। अगर उनकी हालत स्थिर होती है, तो उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। अन्यथा, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीज मजदूर हैं।सफदरजंग अस्पताल में 60 मरीज भर्तीसफदरजंग अस्पताल में लू लगने से बीमार होने के कुल 60 मरीज आए, जिनमें से 42 को भर्ती किया गया। अस्पताल ने छह लोगों की मौत की सूचना दी है, जिसमें 60 वर्षीय एक महिला और 50 वर्षीय एक पुरुष शामिल हैं, जिनकी मंगलवार को मौत हो गई। लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, पिछले दो दिन में हीटस्ट्रोक के कारण चार मरीजों की मौत हो गई है। अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया मंगलवार को संदिग्ध हीटस्ट्रोक के कारण दो मौतें हुईं और बुधवार को भी दो लोग हताहत हुए। हीटस्ट्रोक के 16 मरीज भर्ती हैं। पीड़ितों में से एक की 15 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई। उसकी उम्र करीब 39 साल थी, वह एक मोटर मैकेनिक था, जो जनकपुरी में अपनी दुकान पर काम करते समय बेहोश हो गया था। जब उसे अस्पताल लाया गया था तो वह तेज बुखार से जूझ रहा था। हीटस्ट्रोक के बढ़ते मामलेहीटस्ट्रोक के लक्षणों पर बात करते हुए अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मरीज शरीर में पानी की मात्रा घटने के कारण कभी-कभी बेहोश हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत तेज बुखार भी होता है, जिससे शरीर का तापमान 106 से 107 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में प्रतिदिन बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में हीटस्ट्रोक के 30 से 35 मामले सामने आ रहे हैं। अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल कक्कड़ ने कहा, ओपीडी में, चिकित्सा सुविधाएं गर्मी से होने वाली बीमारियों से संबंधित साप्ताहिक 30 से 35 मामलों की रिपोर्ट कर रही हैं। इनमें मांसपेशियों में ऐंठन और थकावट जैसी स्थितियां शामिल हैं। भीषण गर्मी के कारण ल्यूपस का प्रकोप बढ़ रहा है जो त्वचा, जोड़ों और गुर्दे के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। ल्यूपस से पीड़ित लोगों को अक्सर तापमान बढ़ने के साथ ही लक्षण बढ़ने लगते हैं।
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