तेल अवीव: इजरायल इस समय दोहरी जंग लड़ रहा है। एक जंग वह हमास के खिलाफ जमीन पर लड़ रहा है, जबकि दूसरी जंग वह अवधारणा की लड़ रहा है जिसे उसके खिलाफ ईरान और दूसरे देशों ने दुष्प्रचार अभियान के जरिए छेड़ रखी है। लेकिन एक ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल करके इजरायल खुद को इस दुष्प्रचार अभियान से बचा सकता है। इजरायल के तेल अवीव में मौजूद ताइवान के आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यालय की प्रमुख या-पिंग ली का ऐसा मानना है। खास बात ये है कि इस हथियार का इस्तेमाल ताइवान वर्षों से चीन के खिलाफ सफलतापूर्वक करता आ रहा है। यरुशलम पोस्ट के साथ एक साक्षात्कार में ताइवान की दूत ने ताइवान की इस रणनीति का जिक्र किया। ली ने कहा, कुछ लोग तर्क देते हैं कि यह केवल चीन और ताइवान के बीच प्रतिद्वंद्विता है और यह इजरायल में नहीं होगा। लेकिन इसके लिए ईरान, चीन और रूस के गठबंधन को देखना होगा। वे एक दूसरे से सीख रहे हैं। वे दुष्प्रचार अभियानों की एक ही रणनीति से सीख रहे हैं। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे एक दिन अपने अधिकार में लेने की बात कहता है। इसके साथ ही वह ताइवान को मान्यता देने वाले देशों का विरोध भी करता है। यही वजह है कि विभिन्न देशों में ताइवान के कार्यालय को दूतावास नहीं कहा जाता है।
डिजिटल एकजुटता पर जोर
ली ने कहा कि चीन की और सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक खतरों के अलावा ताइवान के खिलाफ निर्देशित जोड़-तोड़ में वैसी ही तकनीकें शामिल की गई हैं, जैसी क्रीमिया के लिए इस्तेमाल की गई थीं, जब रूस ने 2014 में इसे अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने कहा, हमेशा इजरायल समेत समान विचारधारा वाले देशों का आह्वान करेंगे। हमें डिजिटल एकजुटता बनाने की जरूरत है। हमें सबसे अच्छी रणनीति, डेटा और अनुभव को साझा करने में एक-दूसरे की मदद करने की जरूरत है ताकि खतरे को पहचाना जा सके।चीन कैसे करता है काम?
ली ने कहा कि 2023 में ताइवान में प्रतिदिन लगभग 50 लाख साइबर हमले हुए, जिनमें अधिकांश चीन से थे। उन्होंने आगे कहा कि जब भी कोई महत्वपूर्ण चुनाव होता है तो चीनी सरकार ताइवान के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान तेज कर देती है। समाज को विभाजित और ध्रुवीकृत करने की कोशिश करती है। चीन की रणनीति युद्ध का डर और अमेरिका के प्रति अविश्वास पैदा करना है।ताइवान मदद को तैयार
ताइपे की दूत ने कहा कि ताइवान इस मामले में जवाबी उपायों को साझा करके इजरायल और दूसरे देशों की मदद कर सकता है। उन्होंने एक कानून पर बल दिया जो नियामक और साइबर सुरक्षा प्रबंधन मुद्दों को संबोधित करता है। उन्होंने कहा कि यह अधिक व्यापक रूप से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बारे में बताता है जिसे विदेशी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है और जिनका समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उन्हें सार्वजनिक डोमेन में इंस्टाल या उपयोग होने से रोका जा सकता है।from https://ift.tt/dmoq3Bp
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