New Rules For H-1B And L-1 Visas: वीजा के संबंध में अमेरिकी सरकार के नए प्रस्तावित नियम कंपनियों की जेब पर बोझ डाल सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रस्तावित नए नियम के कारण H-1B और L-1 वीजा पर विदेशी तकनीकी कर्मचारियों को काम पर रखने वाली कंपनियों की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (डीएचएस) और यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) के प्रस्ताव के तहत कंपनियों को कर्मचारियों के वीजा की अवधि बढ़ाते समय शुरुआती आवेदनों के लिए पहले से भुगतान किए गए शुल्क के अलावा एक अतिरिक्त फीस का भुगतान करना होगा।H-1B वीजा बिजनेस स्कूल के छात्रों के लिए अमेरिका में रोजगार पाने का एक लोकप्रिय मार्ग है। इसे नियोक्ता (कंपनी) की ओर से स्पॉन्सर किया जाता है। इसके लिए कंपनी अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) में याचिका दायर करती है। H-1B वीजा पाने वाला आवेदक उच्च शिक्षा की डिग्री पूरी करने के बाद तीन साल तक अमेरिका में रह सकता है और काम कर सकता है।
अमेरिकी वीजा नियम में हो सकता है क्या बदलाव?
यूएससीआईएस जल्द ही अंतिम नियम जारी करने वाली है। वर्तमान में 9/11 प्रतिक्रिया और बायोमेट्रिक प्रवेश-निकास शुल्क केवल प्रारंभिक H-1B और L-1 वीजा याचिकाओं पर लागू होता है। वीजा की अवधि बढ़वाने पर यह लागू नहीं होता है। 2015 में शुरू किया गया यह शुल्क राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों के वित्तपोषण में काम आता है, जिसमें विदेशी नागरिकों के प्रवेश और निकास पर नजर रखने के लिए बायोमेट्रिक तकनीक शामिल है।प्रस्तावित नियम परिवर्तन से इस शुल्क का दायरा व्यापक हो सकता है और इसमें सभी याचिकाएं शामिल की जा सकती हैं। जिसका मतलब है कि अब कंपनियों को H-1B वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए 4,000 डॉलर और L-1 वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए 4,500 डॉलर का भुगतान करना होगा।H-1B या L-1 वीजा एक्सटेंशन के लिए सभी कंपनियों को करना पड़ सकता है भुगतान
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी केवल एक विशिष्ट प्रोफाइल वाली कंपनियों को ही अपने कर्मचारियों के लिए H-1B या L-1 वीजा बढ़ाने के लिए शुल्क देना पड़ता है। विशिष्ट प्रोफाइल में वे कंपनियां शामिल हैं जिनमें 50 से ज्यादा कर्मचारी हैं और उनमें से आधे से ज्यादा कर्मचारी एच-1बी या पर हैं। अब सरकार इस शुल्क का भुगतान करने वालों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव कर रही है। नए नियम के तहत H-1B या L-1 वीजा एक्सटेंशन के लिए आवेदन करने वाली सभी कंपनियों को शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है।विदेशी तकनीकी प्रतिभाओं पर निर्भर कंपनियां हो सकती है प्रभावित
माना जा रहा है कि अगर प्रस्तावित नियम लागू होते हैं तो वे उन व्यवसायों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं जो विदेशी तकनीकी प्रतिभाओं पर निर्भर हैं। वीजा एक्सटेंशन से जुड़ी बढ़ी हुई लागतों के कारण नौकरी की रणनीतियों में बदलाव आ सकता है। कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों या पहले से ही वीजा पर काम करने वाले कर्मचारियों को जॉब पर रखने को प्राथमिकता दे सकती हैं, जिनके लिए एक्सटेंशन शुल्क की आवश्यकता नहीं होती है। उच्च लागत के कारण अमेरिकी कंपनियां तकनीकी क्षेत्र में टॉप फॉरेन टैलेंट को आकर्षित करने में कम प्रतिस्पर्धी हो सकती हैं।छात्रों की डिग्री निशाने पर!
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित नियमों के कुछ हिस्से पिछली अमेरिकी सरकार की ओर से सुझाए गए नियमों के समान बताए जा रहे हैं, जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अमेरिकी तकनीकी उद्योग को नुकसान होगा। माना जा रहा है कि H-1B पात्रता को सीमित करने के लिए नौकरियों के लिए विशेष डिग्रियों को अनिवार्य किया जा सकता है। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री को सामान्य रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और नए नियमों के तहत इसे अपर्याप्त माना जा सकता है, लेकिन बहुत से तकनीकी कर्मचारी, यहां तक कि अमेरिकी कर्मचारियों के लिए ऐसी अनिवार्यता नहीं होगी। माना जा रहा है कि प्रस्तावित नियम एआई और सेमीकंडक्टर में प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका सबसे आगे आना चाहता है और नए नियमों से जरूरत के हिसाब से प्रतिभा ढूंढ़ना मुश्किल हो सकता है।भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा क्या प्रभाव?
भारतीय नागरिक सबसे ज्यादा संख्या में H-1B वीजा धारक हैं और प्रस्तावित वीजा नियम उन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। भारतीय आईटी कंपनियां अक्सर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को अमेरिका भेजती हैं। नए नियम एलिजिबिल जॉब रोल को प्रतिबंधित कर सकते हैं और उनकी लागत बढ़ा सकते हैं। इससे हजारों धारक भारतीयों पर असर पड़ सकता है।बता दें कि प्रस्तावित नियमों को यूएससीआईएस ने 23 अक्टूबर, 2023 को पेश किया था और अभी इस पर सार्वजनिक टिप्पणी की अवधि चल रही है जो 60 दिनों के लिए तय की गई थी। डीएसएच प्रस्तावित परिवर्तनों पर जनता की प्रतिक्रिया मांग रहा है। आम जनता 8 जुलाई, 2024 तक प्रतिक्रिया दे सकती है।from https://ift.tt/uwEof5c
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