अहमदाबाद: गुजरात चुनावों के बूते राष्ट्रीय पार्टी बनी 'आप' अपने मिशन गुजरात को ठंडा नहीं पड़ने देना चाहती है। पार्टी ने हाल ही में प्रदेश में लीडरशिप में जिस तरह से बड़े बदलाव किए। उससे साफ है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अब टीम को नया टारगेट सौंप दिया। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को मिली जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों में पार्टी के सबसे चर्चित और दबंग विधायक बनकर उभरे पार्टी के बड़े पोस्टर ब्वॉय बनेंगे। राज्य में पार्टी की तरफ से वह सबसे बड़े आदिवासी चेहरे होंगे। डेडियापाड़ा से शानदार जीत के बाद अरविंद केजरीवाल न सिर्फ व्यक्तिगत तौर खुश हैं, बल्कि जिस से वे लोगों के मुद्दे उठा रहे हैं। उससे केजरीवाल इस युवा नेता मुरीद हो उठे हैं। पार्टी के एक नेता ने बताया कि चैतर वसावा की आदिवासी समुदाय में बड़ी लोकप्रियता है। हम चाहते हैं कि दक्षिण गुजरात ही नहीं बल्कि मध्य गुजरात और पूरे प्रदेश में चैतर की लोकप्रियता बढ़े। नेता ने बताया कि पार्टी ने चैतर वसावा की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें दक्षिण गुजरात जोन का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। 2023 से ही 24 की तैयारी गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें हैं। 2014 हो या फिर 2019 दोनों चुनावों में बीजेपी ने एक भी सीट कांग्रेस के हाथ नहीं लगने दी। 26 की 26 सीटों पर बीजेपी का कमल खिला था। आम आदमी पार्टी ने नई टीम के ऐलान के साथ साफ कर दिया है वे प्रदेश की सभी 26 सीटों पर दमखम से चुनाव लड़ेगी, लेकिन पार्टी ने 6 सीटों के लिए खास रणनीति बनाई है। इसमें 2 अनुसूचित जाति के आरक्षित और 4 सीटें अनुसूचित जाति के आरक्षण वाली शामिल हैं। पार्टी की कोशिश है कि आदिवासी बहुल वाली चारों सीटों पर अभी से मेहनत की जाए। इनमें भी भरूच और बारडोली की सीटें ऐसी है जहां पर आदिवासी वोट बहुत ज्यादा है। पार्टी ने राज्य में आदिवासियों के बीच में पैठ बढ़ाने के मकसद से चैतर वसावा को कद बढ़ाया और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। नई टीम के ऐलान के बाद जब गुजरात के नेता दिल्ली के अरविंद केजरीवाल से मिले तो केजरीवाल ने चैतर के साथ अलग न सिर्फ फोटो खिंचवाई बल्कि बातचीत भी की। इससे साफ है केजरीवाल 2024 में कम से खाता खोलने का सिलसिला जारी रखना चाहते हैं। कोर टारगेट पर ये सीटें आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनावों में आदिवासी के साथ ग्रामीण हल्कों की सीटों पर अपना ज्यादा फोकस रखेगी। प्रदेश की चार सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं इनमें भरूच, बारडोली, छोटा उदेपुर और दाहोद शामिल हैं। आप की कोशिश होगी। इन सीटों के जरिए लोकसभा में सेंधमारी की जाए। अगर ऐसा होता है तो पार्टी निश्चित तौर एक अलग गति पकड़ेगी। अब देखना यह है कि चैतर वसावा किस तरह से केजरीवाल के मिशन 2024 को लेकर व्यूह रचना करते हैं। भरूच की बात करें तो अभी यहां मनसुख वसावा सांसद हैं। तो वहीं बारडोली से प्रभुभाई वसावा सांसद हैं, जबकि छोटा उदेपुर और गीता राठवा और जसवंतसिंह भाभोर सांसद हैं। टारगेट पर क्यों आम आदमी पार्टी मिशन 2024 के प्लान आदिवासी सीट के टारगेट में प्राथमिकता पर क्यों रख रही है। इसकी बड़ी वजह है कि आप को राज्य में 41 लाख वोट हासिल हुए हैं। उसमें 25 फीसदी वोट सिर्फ आदिवासी समुदाय के हैं। पार्टी ने इसी को देखते हुए इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। आप की इस कोशिश के पीछे कमजोर पड़ी कांग्रेस भी एक और कारण है। 2014 और 2019 में शून्य पर सिमटी कांग्रेस ने 2009 के लोकसभा चुनावों में 11 सीटें जीती थी और बीजेपी को 15 मिली थी, लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस एक भी लोकसभा सीट नहीं बचा पाई। इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 और बीजेपी को 14 सीटें मिली थीं।
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