उत्तर प्रदेश में आज से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इनमें नकल रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है, जो गलत है। सरकारी आदेश के मुताबिक, नकल करने और कराने वालों को तीन महीने तक बिना आरोप तय किए हिरासत में रखा जा सकता है। वहीं, परीक्षा में बाधा डालने या व्यवस्था को प्रभावित करने वालों पर गैंगस्टर एक्ट लगाकर उनकी संपत्ति कुर्क किए जाने की भी बात कही गई है। इस बार के बोर्ड एग्जाम के लिए 58 लाख से ज्यादा छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसके लिए लगभग पौने नौ हजार परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। सभी केंद्रों में CCTV कैमरे लगाए गए हैं, जिनसे एग्जाम की लाइव मॉनिटरिंग होगी। राज्य में जिस तरह से नकल माफिया की खबरें आती रही हैं, उन्हें देखते हुए ये इंतजाम सही हैं। इनके साथ परीक्षाओं में नकल रोकने के जो भी उपाय किए जा सकते हैं, किए जाने चाहिए। मगर नकल करने वाले छात्रों पर NSA के तहत कार्रवाई को ठीक नहीं माना जा सकता। इस मामले में पहला सवाल तो यही बनता है कि जिस तरह की शिक्षा छात्रों को मिलनी चाहिए, क्या वह उन्हें दी जा रही है? क्या स्कूलों में जितने शिक्षक होने चाहिए, उतने हैं? छात्रों और शिक्षकों का अनुपात क्या है?सच पूछिए तो सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है। केंद्र सरकार के 2019 के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में तकरीबन सवा दो लाख शिक्षकों की कमी है। दूसरी बात यह है कि नकल विरोधी नियम-कानून पहले से ही मौजूद हैं, जिनके तहत दोषी छात्रों को सजा दी जा सकती है। तीसरी बात यह है कि अगर छात्रों को नकल करने पर जेल भेजा जाएगा तो उनके अपराध के रास्ते पर आगे बढ़ने का डर भी पैदा होगा। एक सवाल यह भी है कि क्या इन छात्रों के नाम आपराधिक रेकॉर्ड में भी डाले जाएंगे? अगर ऐसा है तो उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है।कुछ समय पहले उत्तराखंड सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद सख्त नकल विरोधी कानून पास किया था। इसके तहत सरकार ने नकल करने-कराने वालों पर भारी जुर्माने और 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया था। मगर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और यूनिवर्सिटी लेवल के परीक्षार्थियों को इससे अलग रखा गया। इसकी वजह प्रदेश सरकार की यह चिंता थी कि छात्रों को इतनी सख्त सजा नहीं दी जानी चाहिए। बेहतर यही होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था में मौजूदा खामियों को दूर करे। वह शिक्षा पर खर्च बढ़ाए। खासतौर पर सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर करे क्योंकि आबादी का बड़ा हिस्सा निजी स्कूलों का खर्च उठाने की क्षमता नहीं रखता। जब तक शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर नहीं किया जाता, तब तक सख्त नकल कानून बनाने से कुछ हासिल नहीं होगा।
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