नई दिल्ली: (UCC) को लेकर अचानक चीजों ने रफ्तार पकड़ी है। ने मंगलवार को इसके लिए खुलकर बैटिंग कर दी। यह तक कह दिया कि दोहरी व्यवस्था से भला देश कैसे चल पाएगा। यह दिखाता है कि सरकार की मंशा स्पष्ट है। वह हर हाल में यूसीसी को अमलीजामा पहनाने के मूड में है। लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने जब से इसे लेकर लोगों से राय मांगी है तभी से अटकलों का बाजार गरम है। कहा जा रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले सरकार समान नागरिक संहिता को ले आएगी। गुरुवार को आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी यूसीसी पर सैद्धांतिक समर्थन दे दिया। अकाली दल, तेलुगु देशम, शिवसेना और बीजू जनता दल जैसे दलों से भी इस मुद्दे पर बीजेपी को साथ मिलने की उम्मीद है। अगर ऐसा हुआ तो अगले साल चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता का रास्ता साफ हो सकता है। हालांकि, अभी AAP को छोड़ दूसरे किसी भी विपक्षी दल ने यूसीसी पर समर्थन देने की बात नहीं कही है। AAP ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को बुधवार को अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया। हालांकि, यह भी कहा कि सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद आम सहमति से ही इसे लाया जाना चाहिए। AAP के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कहा कि सरकार को इस प्रस्ताव पर सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए। इसमें राजनीतिक दल और गैर-राजनीतिक संस्थाएं शामिल हों।पाठक ने कहा, 'AAP सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करती है। (संविधान का) अनुच्छेद 44 भी इसका समर्थन करता है।' उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार को यूसीसी तभी लाना चाहिए जब हितधारकों/संबंधित पक्षों के बीच आम सहमति हो।पाठक बोले कि 'हमारा मानना है कि इस तरह के मुद्दों पर हमें आम सहमति से आगे बढ़ना चाहिए। हम मानते हैं कि इसे (यूसीसी को) सभी पक्षों के बीच आम सहमति बनने के बाद ही लागू किया जाना चाहिए।' पीएम मोदी ने यूसीसी की पुरजोर वकालत कीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि हम देख रहे हैं कि यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?कई राजनीतिक दलों ने यूसीसी पर बयान को लेकर पीएम मोदी की आलोचना की है। कांग्रेस ने कहा है कि वह बेरोजगारी और मणिपुर हिंसा जैसे असली मुद्दों से ध्यान बांटने के लिए ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि यूसीसी के नाम पर क्या देश का बहुलवाद छीन लिया जाएगा।यूसीसी को सैद्धांतिक समर्थन देने वाली इकलौती विपक्षी पार्टी वैसे अभी आप ही एकमात्र ऐसा विपक्षी दल है जिसने यूसीसी को सैद्धांतिक समर्थन दिया है। लॉ कमीशन पहले ही यूसीसी पर जन परामर्श शुरू कर चुका है। उसने लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों से यूसीसी पर 14 जून से अपनी अपनी राय भेजने को कहा था।विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने बुधवार को कहा कि जनपरामर्श शुरू करने के महज दो सप्ताह में आयोग के पास साढ़े आठ लाख जवाब आ चुके हैं । अवस्थी ने बताया, 'कल (मंगलवार) तक हमारे पास जो जवाब आए हैं वे करीब साढ़े आठ लाख हैं।' समान नागरिक संहिता का अर्थ देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून है जो धर्म पर आधारित नहीं है। व्यक्तिगत कानून और विरासत, गोद लेने, उत्तराधिकार से जुड़े कानून इस संहिता में शामिल किए जाने की संभावना है। यूसीसी लागू करना बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रहा है।
from https://ift.tt/WVmaS8x
No comments:
Post a Comment