मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख शुक्रवार को महाराष्ट्र के बजट को आश्वासनों का पुलिंदा और झांसा करार दिया। उन्होंने कहा कि इसमें समाज के हर वर्ग को कुछ न कुछ देने का दिखावा किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां विधानमंडल परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक भत्ता देने संबंधी मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना विधानसभा चुनाव से पहले महिला मतदाताओं को लुभाने का प्रयास है। इससे पहले उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने 20,051 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का बजट पेश करते हुए महिलाओं, युवाओं और किसानों समेत विभिन्न वर्गों के लिए 80 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की।बजट आश्वासनों का पुलिंदाउद्धव ठाकरे ने पूछा कि बेरोजगारी बढ़ने के बावजूद पुरुषों के लिए इसी प्रकार का भत्ता क्यों नहीं घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि नौकरियां सृजित करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि बजट आश्वासनों का पुलिंदा है। यह समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का एक फर्जी प्रयास है। इसे (उपमुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस झांसा कहते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने बजट को राजनीतिक सम्मोहन करार दियामहाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार की ओर से पेश बजट को राजनीतिक सम्मोहन करार दिया और दावा किया कि मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे क्षेत्रों को इसमें कुछ भी नहीं मिला। शिवसेना (यूबीटी) के नेता दानवे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य ने कई योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन उनके कार्यान्वयन को लेकर संदेह है। यह केवल राजनीतिक सम्मोहन है। आज के बजट भाषण के बाद, यह स्पष्ट है कि सरकार मराठवाड़ा, विदर्भ के क्षेत्रों को महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं मानती है। सरकार योजनाओं के व्यवस्थित कार्यान्वयन के लिए गठित समिति के माध्यम से लोगों पर भारी कर लगाएगी।सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया और कहा कि राज्य का कर्ज बोझ सात लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कर्ज के बोझ को देखते हुए बजटीय प्रावधानों की व्यवहार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के पास निवेश आकर्षित करने और बेरोजगारी को कम करने की कोई रणनीति नहीं है। तपासे ने कहा कि लोकलुभावन, लेकिन खोखले वादे चुनाव से पहले लोगों को प्रभावित नहीं कर पाएंगे।किसानों की पूरी कर्जमाफी की मांग नजरअंदाजदानवे के सहयोगी और उस्मानाबाद के विधायक कैलाश पाटिल ने कहा कि यह बजट लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को मिली हार के बाद नुकसान की भरपाई की कवायद मात्र है। उन्होंने कहा कि किसानों की पूरी कर्जमाफी की मांग को नजरअंदाज कर दिया गया है, जबकि मुफ्त बिजली का वादा भी निष्प्रभावी है, क्योंकि किसानों को बिजली मिल ही नहीं रही है।बजट की आलोचना कीउद्योगपति रामचंद्र भोगले ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि सब कुछ मुफ्त देने से सत्ताधारी दलों को चुनाव जीतने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे राज्य बर्बाद हो जाएगा। महाराष्ट्र राज्य बैंक कर्मचारी महासंघ के महासचिव देवीदास तुलजापुर ने कहा कि समय की मांग है कि खासकर कर्ज माफी के माध्यम से किसानों को राहत दी जाए, लेकिन बजट में इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया गया।
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