नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों को विश्व की भलाई और दिलों को जोड़ने के लिए विरासत की क्षमता का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि विरासत सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि मानवता की 'साझा चेतना' है। यहां भारत मंडपम में (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र के उद्घाटन समारोह में मोदी ने अपने संबोधन में विरासत की सार्वभौमिकता को भी रेखांकित किया और कहा कि जब भी कोई ऐतिहासिक स्थलों को देखता है, तो 'हमारा मन वर्तमान भू-राजनीतिक कारकों से ऊपर उठ जाता है।' भारत पहली बार 21 जुलाई से 31 जुलाई तक यूनेस्को के प्रमुख कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। मोदी के साथ मंच पर यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले, विदेश मंत्री एस जयशंकर और केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य लोग मौजूद थे। उद्घाटन से पहले, प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में एक प्रदर्शनी का दौरा किया जिसमें देश में वापस लाई गईं कुछ कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि अब तक 350 से अधिक कलाकृतियां देश में वापस लाई जा चुकी हैं। प्रदर्शनी देखने के दौरान मोदी के साथ यूनेस्को की महानिदेशक भी मौजूद थीं जिन्होंने साड़ी पहन रखी थी। प्रधानमंत्री ने उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में प्रदर्शनी के बारे में बात की और कहा कि प्राचीन कलाकृतियों की वापसी वैश्विक उदारवाद एवं इतिहास के प्रति सम्मान की भावना को दर्शाती है।
'विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यताओं में से एक'
उन्होंने कहा कि 46वां डब्ल्यूएचसी सत्र 'विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यताओं में से एक' में हो रहा है। मोदी ने उन अभियांत्रिकी उपलब्धियों की भी सराहना की जो प्राचीन विरासत स्थलों में दिखाई देती हैं। उन्होंने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर और तमिलनाडु में चोल शासकों द्वारा निर्मित बृहदीश्वर मंदिर का हवाला दिया। उन्होंने कहा, 'भारत की विरासत सिर्फ इतिहास नहीं है, यह विज्ञान भी है। भारत की विरासत में, शीर्ष स्तर की अभियांत्रिकी की गौरवशाली यात्रा भी देखी जाती है।' बैठक में 150 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। डब्ल्यूएचसी की साल में एक बार बैठक होती है और यह विश्व धरोहर स्थलों से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन एवं यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों के बारे में निर्णय लेने का दायित्व देखती है।'...यह मानवता की साझा चेतना है'
विरासत के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'विरासत केवल इतिहास नहीं है, यह मानवता की साझा चेतना है। जब भी हम ऐतिहासिक स्थलों को देखते हैं, तो हमारा मन वर्तमान भू-राजनीतिक कारकों से ऊपर उठ जाता है।' मोदी ने लोगों को 'विश्व कल्याण के वास्ते विरासत की इस क्षमता का उपयोग करने और दिलों को जोड़ने के लिए विरासत का उपयोग करने' के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, 'यह दुनिया के देशों से भारत का आह्वान है कि वे एक-दूसरे की विरासत को बढ़ावा देने और मानव कल्याण की भावना को बढ़ाने, पर्यटन को प्रोत्साहित करने और विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए एक साथ आएं।'from https://ift.tt/NZeEiWk
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